संप्रभु राष्ट्र का उद्घोषक - गणतंत्र दिवस

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संप्रभु राष्ट्र का उद्घोषक - गणतंत्र दिवस

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भारत के लिए 26 जनवरी की तारीख बेहद खास मानी जाती है. आज ही के दिन 1950 में देश के संविधान को लागू किया गया था. 211 विशेषज्ञों के द्वारा दो साल ग्यारह महीने और 18 दिनों में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था. 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी.

republic-dayवैसे तो 26 जनवरी का दिन इतिहास में पहले से ही विशेष स्थान रखता था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार 26 जनवरी को ही तिरंगे झंडे को फहराया गया था और प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी.

गणतंत्र होने का मूल अर्थ है कि अब देश का शासक अनुवांशिक राजा नहीं बल्कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि होगा.

डा. भीमराव आम्बेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया भारतीय संविधान 395 अनुच्‍छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान था जो और भी विस्तृत हो चुका है. 26 जनवरी 1950 को संविधान के लागू होने के साथ सबसे पहले डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्‍ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्‍टेडियम पहुंचा जहां उन्‍होंने राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया. और तब से ही इस दिन को राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है. किसी भी देश के नागरिक के लिए उसका संविधान उसे जीने और समाज में रहने की आजादी देता है इस तरह गणतंत्र दिवस और संविधान की उपलब्धता काफी अधिक है.

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